भोपाल-
कोरोना संकट के चलते मंडला ज़िले के आदिवासी बहुल मवई विकासखंड के,
सुदूर वनवासी ग्राम चंदगांव के बैगाटोला में श्याम धुर्वे के घर से
रोजाना जोर-जोर से ऐसी आवाज़ें आती हैं, मानो कोई स्कूल चल
रहा हो। दरअसल खेतीहर मज़दूर श्याम धुर्वे के घर में उनके दो छोटे-छोटे बच्चे फुल
वाल्यूम में मोबाईल पर शैक्षिक वीडियोज़ देखकर उससे भी तेज आवाज में पाठ को दोहराते
हैं।
श्याम धुर्वे का कहना है कि स्कूल बंद हैं पर बच्चों की
पढ़ाई चालू है। श्याम का बेटा कक्षा तीसरी और बेटी ईश्वरी कक्षा दूसरी में है। आजकल
वे घर पर भी रोजाना वैसे ही पढ़ रहे हैं, जैसे
स्कूल में पढ़ते थे। कुछ लिखना, कुछ पढ़ना, कुछ गुनगुनाना और गिनती-पहाड़े दोहराना बच्चों की दिनचर्या का अहम हिस्सा
बन गए हैं।
स्कूल शिक्षा विभाग ने डिजीलेप (DigiLEP)
यानि डिजीटल लर्निंग इनहेंसमेंट प्रोग्राम (दक्षता संवर्धन
कार्यक्रम) में पूरे प्रदेश में शिक्षक एवं पालकों के 50,000 से अधिक वाट्सएप ग्रुप बनाए हैं। इन्हीं ग्रुप्स में रोजाना सुबह 10
बजे हर कक्षा के अनुरुप वही शैक्षिक वीडियोज़ और अन्य शैक्षिक
सामग्री शिक्षकों, पालकों और बच्चों तक पहुँचायी जाती है,
जो विषय-विशेषज्ञों द्वारा चुनी गई है। इसे बच्चे अपने घर पर ही
बैठकर देखते है, सुनते हैं और फिर उसके हिसाब से अपनी पढाई
करते हैं।