मण्डला - कृषि विज्ञान केंद्र मंडला द्वारा अपने अंगीकृत ग्राम खुक्सर में आदिवासी उपयोजना एवं संकुल दलहन संकुल प्रदर्शन कार्यक्रम अंतर्गत संस्था प्रमुख डॉ. विशाल मेश्राम के मार्गदर्शन में बीज वितरण से कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम रखा गया। इस प्रशिक्षण के दौरान कृषकों को डॉ. आर.पी. अहिरवार वैज्ञानिक द्वारा अरहर उत्पादन तकनीक के साथ अरहर फसल में पोषक तत्व प्रबंधन विषय पर प्रशिक्षण दिया गया।
नीलकमल पन्द्रे द्वारा बीज उपचार विधि का सजीव प्रदर्शन कराया गया तथा बताया कि बीज उपचार हेतु रसायनिक तथा जैविक दोनों तरह की दवाओं का प्रयोग किया जा सकता है रसायनिक दवा के रूप में कार्बेंडाजिम 12 प्रतिषत़़ मैनकोज़ेब 63 प्रतिषत (साफ) घुलनशील चूर्ण की 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से या कार्बोक्सिंन 37.5 प्रतिषत थायरम 37.5 प्रतिषत (विटावेक्स पाॅवर) दवा का 1 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपयोग किया जा सकता है। जैविक दवाई के रूप में ट्राईकोडरमा विरिडि 7 से 10 ग्राम, स्यूडोमोनास 7 से 10 ग्राम एवं राइजोबियम कल्चर 7 से 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज उपचार हेतु उपयोग करना चाहिए।
पन्द्रे ने बताया कि कभी भी दोनों रसायनिक एवं जैविक दवाओं का एक साथ उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि रासायनिक दवाओं के साथ जैविक दवाओं का उपयोग करने से जैविक दबा में मौजूद सूक्ष्मजीव असक्रिय हो जाते हैं तथा जैविक दवाओं का प्रभाव शून्य हो जाता है। बीज उपचार के फायदों को बताते हुए कहा गया कि चाहे रसायनिक हो या जैविक दवा हो बिना उपचार के बीजों की बुवाई नहीं करना चाहिए जिससे फसल की प्रारंभिक अवस्था में फफूंदी जनित बीमारियों से फसलों को बचाया जा सके।
इस प्रशिक्षण के समापन के समय चयनित 15
कृषकों को अरहर फसल की उन्नत किस्म राजेष्वरी बीज वितरण एवं बीजउपचार हेतु जैविक
दवा ट्राईकोडरमा विरिडि एवं राइजोबियम कल्चर का वितरण किया गया।
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