मण्डला - 1 जुलाई को डाॅक्टर्स
डे के अवसर पर साईं मंदिर रपटा घाट में ग्रामीण चिकित्सा पर्यावरण विकास परिषद्
द्वारा लगाया गया निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर में रपटा घाट वृद्धाश्रम तथा सिहोर
रायसेन से आये हुए परिक्रमावासी वृद्धजनों का स्वास्थ्य परीक्षण कर निःशुल्क औषधि
वितरण किया गया। स्वास्थ्य परीक्षण के बाद डॉ. आर.पी.सिंह की अध्यक्षता में
परंपरागत ग्रामीण चिकित्सक संघ की बैठक बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कैसे
बढ़ायें इस विषय पर बैठक की। बैठक में डॉ. आर.पी.सिंह, डॉ. नीरज कोष्टा, डॉ. छोटा भाई कछवाहा, डॉ. धर्मेन्द्र साहू, डॉ. ए.आर.सोनकर, डॉ. कमल ने
भाग लिया। सभी का एकमत था कि शासन आयुष विभाग के सहयोग से 600 B.C. पूर्व लिखे गये आयुर्वेद के ग्रंथ काश्यप संहिता में वर्णित वर्षों
पुराने बच्चों के ओरल वैक्सीन के तरीके को अपनाये जिसका नाम स्वर्ण प्राशन संस्कार
है। इसे प्रत्येक जिले में आयुष विभाग के सहयोग से छोटे बच्चों को निःशुल्क वितरण
किया जाये। क्योंकि हमारे प्राचीन ऋषि मुनियों ने वर्षों पूर्व हमारे बच्चों के
लिए इस ओरल वैक्सीन के तरीके को खोजा था। स्वर्ण प्राशन नाम से आशय यह है स्वर्ण
यानी गोल्ड, प्राशन यानी चाटना। स्वर्ण प्राशन संस्कार 0
से 12 वर्ष तक के बच्चों को दिया जा सकता है,
स्वर्ण प्राशन ओरल वैक्सीन के प्रमुख घटक हैं स्वर्ण भस्म + वचा + शहद + ब्राम्ही + शंखपुष्पी + श्वेतदुर्वा + गौघृत + कुस्थ
आदि। यह विधि बच्चों में पाचन शक्ति बढ़ाती है, बल बढ़ाती है,
जिससे बच्चों में शारीरिक, मानसिक विकास सही
तरीके से होता है तथा वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्षन से बचाया जा सकता है तथा बच्चा
सुन्दर व स्वस्थ्य होता है। डॉ. आर.पी.सिंह ने सभी ग्रामीण क्षेत्रों में रहकर
अपना संपूर्ण जीवन मानव सेवा में समर्पित करने वाले तथा सीमित संसाधनों के रहते
हुए भी कठिन ग्रामीण परिवेष में ग्रामीण जनता की सेवा करने वाले तथा परंपरागत
भारतीय औषधियों के विकास में लगे हुए सभी परंपरागत ग्रामीण चिकित्सकों/वैद्यों को
अनेकों शुभकामनाएं दी।
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