मण्डला - कृषि विज्ञान केन्द्र मण्डला के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ विशाल मेश्राम, डॉ आर.पी. अहिरवार., कान्हा प्रोड्यूसर कम्पनी के सीईओ रंजीत कछवाहा के द्वारा ग्राम खिरहनी विकासखण्ड मोहगांव जिला मण्डला के किसानों के खेतों में जाकर धान की फसल का निरीक्षण किया एवं उसमें लगी बीमारी तथा कीटव्याधी पर चर्चा करते हुये बताया कि इस समय धान में मुख्यता झुलसा रोग की समस्या आ रही है। जिसका मुख्य लक्षण पौधो की पत्तियांें में आंख या नाव के आकार के भूरे कत्थे रंग के धब्बे बन जाते हैं। जो धीरे-धीरे बढने लग जाते हैं जिससे पत्तियां सूख जाती हैं। फलस्वरूप पौधा कमजोर हो जाता है जिससे उत्पादक प्रभावित होता है। यह बीमारी फफूंदी जनक होती है। जिसका उपचार ट्राइसाइक्लोजोल नामक दवा की 120 ग्राम प्रति एकड की दर से उपयोग कर के किया जा सकता हैं। साथ ही वर्तमान में कुछ किसानों के खेतों में धान गभोट अवस्था में है जिनमें रसचूसक कीटों जैसे गंधीबग कीट का प्रकोप हो जाता हैं जो कि मच्छर के समान होता है जिसमें चूसने वाले मुखांग होते हैं जिससे दूधिया अवस्था वालियों में अपने मुखांग चुभाकर रस चूस लेते हैं जिससे बालियां पोची हो जाती है और सफेद या भूरे रंग की दिखाई देती हैं जिनमें दाने नही बनते, फलस्वरूप उत्पादन प्रभावित होता है। इससे बचाव हेतू इमिडाक्लोरप्रिड 10 मि.ली. दवा को प्रति 15 ली. पानी की क्षमता वाले स्प्रे पम्प में अच्छी तरह घोल कर धान फलस को तर करते हुये छिडकाव करें। वर्तमान समय में अगेती से माध्यम समय की धान बाली निकलने एवं पुष्पन की अवस्था में है एवं माध्यम से देर में पकने वाली धान की किस्मों धान की पुष्पगुच्छ की अवस्था में हैं यह सक्रिय अवस्था है क्योंकि इस अवस्था में हुये नुकसान की भरपाई संभव नही है और किसी अवस्था में कीडे तनाछेदक गंधीबग, बीपीएच, पुष्पगुच्छ घुन (पेनीकलमाईट) का आक्रमण हो सकता है।
धान की फसल तना छेदक कीट के नियंत्रण हेतु
क्लोरेन्ट्रानीलीप्रोल$ लैम्ब्डा-
साइहैलोथ्रिन 80 एमएल अथवा
कार्ताप हाइड्रोक्लोराइड 200
ग्राम अथवा
फिप्रोनिल 250 एम एल अथवा
इन्डोक्साकार्ब 150 एल एल प्रति एकड़
की दर से 150 लीटर पानी के साथ
प्रभावित फसल पर छिड़काव करें। धान की फसल पर हरा फुदका (ग्रीन लीफ हापर) के आक्रमण
से धान की पत्तियॉं हल्की पीली पड़ जाती हैं एवं उनका अगला शिरा नारंगी रंग का हो
जाता हैं जिससे पौधों की बढ़वार रूक जाती है। यह कीट धान की फसल में टुन्ग्रो वायरस
रोग का वाहक भी है। इसके प्रभावी नियंत्रण हेतु पाईमेट्रोजीन 50 प्रतिशत 120 ग्राम अथवा डिनोटेफ्युरान 20 प्रतिशत 80 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी के साथ प्रभावित फसल पर तुरन्त
छिड़काव करें। उसी प्रकार बीमारियां, बैक्टीरियल लीफ स्ट्रीक रोग, करपा (झुलसा रोग) झूठा कंडवा या आभासी कंडवा या
फाल्स स्मट रोग की देखी गई है कई जगह धान की फसल बैक्टीरियल लीफ स्ट्रीक रोग से
प्रभावित देखी गई है जिससे पत्तियों की नसों के बीच भूरे रंग की धारियां बन जाती
है। इस रोग के नियंत्रण हेतु कॉपर ऑक्सिक्लोराइड$ कासुगामाइसिन 300 ग्राम अथवा कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 400 ग्राम$ स्ट्रेप्टोसाइक्लिन
30 ग्राम प्रति एकड़
की दर से 150 लीटर पानी के साथ
प्रभावित फसल पर छिड़काव करें। धान की फसल मे करपा (झुलसा रोग) दिखाई दे रहा है यह
रोग पौधो से लेकर दाने बनने की अवस्था तक आता है। इस रोग का प्रभाव मुख्यतः धान की
पत्तियो, तने की गांठे एवं
बॉली पर ऑख या नाव के आकार के भूरे, कत्थे धब्बे बनते है इस रोग की रोकथाम हेतु ट्राईसाइकलाजोल 120 ग्राम प्रति एकड़
की दर से छिड़काव करे। धान की फसल मे झूठा कंडवा या आभासी कंडवा या फाल्स स्मट रोग
की समस्या बहुतायत मे देखी गई थी जिससे धान की गुणवत्ता और धान की फसल में
गुणवत्ता एवं उत्पादन मे भारी कमी आती है यह रोग धान की फसल मे फूल वाली अवस्था
में रूक-रूक कर हो रही बारिष एवं वातावरण में कुछ आर्दता मे 90 प्रतिशत से अधिक
की स्थिति में उग्र हो जाता है उस समय इसका नियंत्रित कर पाना अत्यन्त मुश्किल
होता है। अतः इस रोग से बचाव के लिए जैसे ही धान की फसल मे लगभग 50 प्रतिशत तक
बालियां आ जाएं उस अवस्था पर एजोक्सीस्ट्राबीन $ डाइफेनोकोनाजोल 200 मिली लीटर अथवा प्रोपीकोनाजोल 200 मिली लीटर अथवा
कापर आक्सीक्लोराइड 400 ग्राम प्रति एकड़
की दर से 150 लीटर पानी के साथ
छिड़काव करे। केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ आर.पी. अहिरवार ने जानकारी देते हुए बताया कि
धान मे जिंक की कमी से खैरा रोग बहुतायत मे दिखाई देता है जिसमे धान की पत्तियो मे
नुकीले हिस्से से पीलापन लिये हुये पैरे के समान सूखने लग जाते है इस रोग की
रोकथाम हेतु 12 प्रतिशत चिलेटेड
जिंक 150 ग्राम अथवा 21 प्रतिशत वाला 10 किलो ग्राम या 33 प्रतिशत वाला
मोनोहाईड्रेट जिंक 2 किलो ग्राम मे से
कोई भी एक का प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करे। इस दौरान कृषक लक्ष्मीबाई भांवरे, भागरथी नंदा सहित
अनेक कृषक महिलाएं उपस्थित रही।
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