मंडला - आदिवासी
बाहुल्य जिला मंडला कुपोषण और एनीमिया मरीजों के कारण हमेशा सुर्खियों में रहता
है। जिले में एनीमिया और कुपोषण को खत्म करने संबंधित विभाग भरकस प्रयास कर रही
है। वहीं जिले के गरीबों की थाली से रोटी ही गायब हो गई है। यदि पोषण थाली में
रोटी ना हो तो आप इसे क्या कहोंगे। बता दे कि इस जिले में गरीबी रेखा से नीचे जीवन
जीने वाले लोगों की थाली से जून माह से रोटी गायब हो चुकी है। उनके थाली में रोटी
कब आएगी कहना मुश्किल है, इसका पता
ना तो अधिकारियों को है ना ही जनप्रतिनिधियों को।
बताया गया कि गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोग चावल के
आटे की ही रोटी खाने को मजबूर हैं। पीडीएस दुकानों से सामग्री लेने वालों का कहना
है कि सरकार द्वारा जून माह से हमें गेहूं नहीं मिल रहा हैं, जिसके कारण हम सिर्फ चावल
खाने के लिए मजबूर हैं। वहीं राशन दुकान संचालक का कहना है कि हमें सरकार ने गेहूं
आवंटित ही नहीं किया, वितरण के
लिए सिर्फ चावल मिल रहा है। इसलिए हम चावल का ही वितरण कर रहे हैं।
उत्पादन में अव्वल होते हुए भी गेहूं के लिए तरस रहे लोग:
जैसे-जैसे कृषि विकसित हो रही है और नई-नई तकनीकों के साथ गेहूं का
रकबा लगातार बढ़ रहा है। प्रदेश में गेहूं उत्पादन के साथ-साथ उपार्जन भी बढ़ रहा
है। पिछले साल चार लाख क्विंटल गेहूं उपार्जन हुआ है गेहूं की कोई कमी प्रदेश में
ना होते हुए भी गरीब कल्याण योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले
लोगों को गेहूं का वितरण नही हो रहा है। सरकार की मंशा पर सवाल है कि कहीं गेहूं
बचा कर कहीं और बेचने की योजना तो नही बनाई जा रही है। देश में खाद्य सुरक्षा
आधीनियम होते हुए भी आदिवासी जिले की गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाली जनता
को गेंहू ना मिलने के कारण लोगो में कुपोषण जैसी स्थिति पैदा हो चुकी है।
जिले के बच्चे हो रहे कुपोषण का शिकार :
गरीब आदिवासी क्षेत्र जिसमें कुपोषण से सबसे अधिक प्रभावित बच्चे है, बैलेंस डाइट को हर स्तर पर
महत्व दिया 7 जाता है
ताकि कुपोषण को रोका जा सके। पर इन क्षेत्रों में 7 पर्याप्त गेहूं का उत्पादन और उपार्जन होने के बाद
भी 8 महीने से
गेंहू का आवंटन नहीं दिया जो आदिवासी क्षेत्र से अन्याय 7 है। क्षेत्र की गरीब जनता
गेहूं के आटे के लिए तरस रही है। पूर्व में जिन नेताओं को जनता ने चुना और वर्तमान
में जनसेवक है वो आज जनता की इस स्या का ठेका लेने को तैयार नही हैं। आज राजनीति
सिर्फ ठेकेदारी, मेटेरियल
7 सप्लायर, परसंटेज की हो चुकी है, आज राजनीति सेवा नही 7 स्वार्थ बन चुकी है। नेता
पैसा छापने में इतने व्यस्त है की 7 लोगो के दुख तकलीफ से कोई मतलब नही रहा।
इनका कहना है
देश में खाद्य सुरक्षा अधिनियम जैसे कानून होते हुए भी मंडला जिले के
लोग कुपोषण के शिकार हैं। सरकार नेता इनकी समस्याओं के सामने लाचार, बीमार हैं। लोगों को भरपूर
खाद्यान्न मिलना चाहिए साथ ही गेहूं भी। ये इस देश का कानून है, उनका अधिकार है।
दुर्गेश उइके
सरकार द्वारा गेहूं पिछले 8 माह से आवंटित नहीं कर रहा है। गेहूं ना मिलने के कारण आज गरीब पेकिट
वाला आटा ऊंचे दाम पर खरीद रहा है। सरकार द्वारा सहायता ना मिलने से लोग मंहगाई के
बोझ तले दब रहे हैं। जल्द ही सोसायटी में गेहूं भेजा जाना चाहिए।
उत्तम सिंगरौरे
राजनीतिक पार्टिया अपने घोषणा पत्र पर गरीब कल्याण के लिए अनेकों
वादे करती हैं कि लोगों को चावल,
गेहूं, शक्कर
नमक, तेल, दाल तक शासकीय उचित मूल्य
दुकानों से मिलेगा, लेकिन
पिछले करीब 8 माह से
राशन दुकान में गेहूं उपलब्ध नहीं है। गरीब बाजार से 50 रुपया किलो आटा खरीदने
मजबूर है।
दुर्गेश सिंगरौरे,
मंडला
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