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Monday, March 20, 2023

माँ नर्मदा उत्तरवाहिनी परिक्रमा का व्यास नारायण मंदिर में हुआ समापन, हजारों श्रृद्धालु हुए शामिल

मंडला - नर्मदा नगरी मंडला में उत्तरवाहिनी नर्मदा परिक्रमा विगत वर्ष से प्रारंभ की गई है। जिसके अंतर्गत महिष्मति मां नर्मदा उत्तरवाहिनी परिक्रमा आयोजन समिति के तत्वावधान में उत्तर वाहिनी नर्मदा परिक्रमा शनिवार को प्रात: प्रारंभ की गई। मंडला नगर के व्यास नारायण मंदिर में संकल्प लेकर उत्तर वाहिनी नर्मदा परिक्रमा शुरू हुई। परिक्रमा का रात्रि विश्राम घाघा घाघी में हुआ। यहां राँित्र में भजन,कीर्तन किया गया। माँ नर्मदा की मनमोहक आरती भक्तों द्वारा की गई। हजारों की संख्या में यहां परिक्रमावासी के अलावा लोग मौजूद रहे। 

बता दे कि दो दिवसीय उत्तर वाहिनी नर्मदा परिक्रमा के घाघा घाघी में रात्रि विश्राम के बाद प्रात: घाघा घाघी नर्मदा तट नाव से पार करके बबैहा गरम पानी कुण्ड पहुंचे। यहां गरम पानी कुण्ड में परिक्रमा में शामिल भक्तों ने गरम पानी कुण्ड व नर्मदा में स्नान कर यात्रा को आगे बढ़ाया। 

बबैहा में अल्प विराम के बाद यात्रा आगे की और बढ़ी। ग्वारी, जंतीपुर होते हुए यात्री कटरा पहुंचे। जहां पर दोपहर के भोजन की व्यवस्था की गई थी। यहां से मौसम में बदलाव भी देखने को मिला रिमझिम बारिश के बीच मां नर्मदा के जयकारे लगाते श्रृद्धालु राजेश्वरी वार्ड जहां से यात्रा प्रारंभ की थी वहां के लिए निकल पड़े। 

बारिश में भी नर्मदा भक्तों का उत्साह कम नहीं हुआ। राजेश्वरी वार्ड के व्यास नारायण मंदिर में पूजन के बाद यात्रा का समापन किया गया। यहां अन्य कार्यक्रम भी किया जाना था लेकिन खराब मौसम के कारण नहीं हो सके। ग्वारी में क्षेत्रीय जनता एवं विधायक निवास के सौजन्य से स्वल्पाहार एवं चाय नाश्ता का कायक्रम रखा गया। नर्मदा भक्तों की सेवा का अवसर क्षेत्रीय लोगों को मिला। इस सेवा में गणेश पाठक, मनीष कुमार राय, नवीन सेन, नारायण प्रसाद साहू, घनश्याम राय, सतीश राय, राजेंद्र चौधरी आदि उपस्थित रहे। 


42 किमी की रही दूसरे साल की यात्रा : 

बता दे कि यात्रा का यह दूसरा वर्ष है। महाराजपुर संगम से घाघा-घाघी तक लगभग 21 किमी एक तट व 21 किमी बैबहा से राजराजेश्वरी वार्ड तक कुल 42 किमी की परिक्रमा पूर्ण की गई। बता दें कि नर्मदा परिक्रमा को लेकर शास्त्रों में एक प्रावधान यह भी किया गया है कि जो कोई भी मां नर्मदा की परिक्रमा किसी कारणवश चाहते हुए भी न कर पा रहा हो तो वह व्यक्ति उत्तरवाहिनी मां नर्मदा परिक्रमा कर इस पुण्य लाभ को प्राप्त कर सकता है। यह जिलेवासियों का सौभाग्य है कि मां नर्मदा जिले को तीन ओर से घेरते हुए मंडला से कल-कल करती आगे बढ़ रही है। इसी के साथ जिले में उत्तरवाहिनी नर्मदा परिक्रमा तट भी स्थित है। जिससे नर्मदा नगरी का महत्व और बढ़ जाता है। 


सम्पूर्ण नर्मदा परिक्रमा के बराबर पुण्यदायक :

अमरकंटक से मां नर्मदा का उद्गम होता है और खंबात की खाड़ी तक मां नर्मदा प्रवाहित होती है, इस पूरे मार्ग में तीन स्थान ऐसे हैं जहां मां रेवा उत्तर दिशा में प्रवाहित हुई हैं। जहां-जहां मां नर्मदा उत्तर दिशा में प्रवाहित हुई उतने क्षेत्र की परिक्रमा करने का प्रावधान शास्त्रों में बताया गया है और यह परिक्रमा वर्ष में सिर्फ  एक माह में ही की जाती है, वह चैत्र का माह। पूरे नर्मदा क्षेत्र में 3 स्थान ऐसे हैं जहां माँ नर्मदा उत्तरवाहिनी हुई हैं, इनमें से एक गुजरात प्रदेश में तिलकवाड़ा, दूसरा क्षेत्र मंडला और तीसरा ओमकारेश्वर के पास का स्थान है जो कि अब बांध बन जाने से डूब क्षेत्र में आकर विलोपित हो गया है। गुजरात के तिलकवाड़ा में उत्तरवाहिनी परिक्रमा वर्षो से की जा रही है। यह आयोजन उस क्षेत्र का बहुत बड़ा आयोजन होता है। दो दिवसीय यात्रा में शामिल नर्मदा भक्तों का जगह-जगह स्वागत भी किया गया।










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