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18 मार्च शनिवार को सुबह 6 बजे व्यास नारायण मंदिर किले वार्ड में होगी संकल्प पूजा |
मण्डला। माँ नर्मदा उत्तरवाहिनी परिक्रमा यात्रा व्यास नारायण मंदिर में 18 मार्च की सुबह 6:00 बजे संकल्प पूजा के साथ प्रारंभ होगी यहां से
यात्रा पुरवा नाव के द्वारा पहुंचेगी और पुरवा में कृष्ण मंदिर के दर्शन एवं सरस्वती
प्रस्त्रवण तीर्थ (विष्णुपुरी) उपरांत बंजर कच्चे पुल को पार करते हुये महाराजपुर
संगम यात्रा आयेगी जहां रेवा प्रसादी प्रकल्प के द्वारा बाल भोग का वितरण होगा एवं
यात्रा की अगुवाई कर रहे संतों द्वारा यात्रा को लेकर संदेश दिया जायेगा
तत्पश्चपात परिक्रमा यात्रा यहां से ज्वालाजी मंदिर होते हुये मंगलेश्वर मंदिर
पहुंचेगी फिर कारीकोन तिराहा होते हुये मानादेई, सुरंगदेवरी,
सिलपुरा
पहुंचेगी जहां दोपहर के भोजन की व्यवस्था की गई है भोजन उपरांत थोड़े विश्राम के
बाद यात्रा घाघा-घाघी तक जायेगी जहां 18 मार्च दिन शनिवार को रात्रि विश्राम नर्मदा तट पर ही होगा। घाघी में रात्रि
विश्राम के दौरान भजन संध्या का आयोजन भी किया गया है।
19 मार्च की सुबह तट पार कर बबैहा गरम पानी कुण्ड यात्रा पहुंचेगी जहां से ग्वारी, फूलसागर, तिंदनी यात्रा आयेगी और फिर यहां से गाजीपुर होते हुये कटरा पहुंचेगी जहां राजपूत मैरिज गार्डन में दोपहर का भोजन निर्धारित किया गया इसके बाद परिक्रमा यात्रा रानी पार्क होते हुये गोंझी ग्राम होते हुये देवदरा पहुंचेगी जहां से नेहरूस्मारक होते हुये न्याय घाट, जेलघाट, नाव घाट होते हुये व्यास नारायण मंदिर पहुंचकर यात्रा संपन्न होगी जहां यात्रा के समापन पर प्रसादी का वितरण किया जायेगा।
यात्रा को लेकर
की गई व्यापक तैयारियाँ :
उत्तरवाहिनी
नर्मदा परिक्रमा का यह दूसरा वर्ष है जबकि इस तरह की उत्तरवाहिनी परिक्रमा गुजरात
के तिलकवाड़ा में वर्षो से आयोजित की जा रही है और तिलकवाड़ा के विकास में इस
यात्रा का बहुत बड़ा योगदान है मण्डला नगर जिस पर माँ नर्मदा का विशेष आर्शीवाद है
लेकिन हम नर्मदावासी इस आर्शीवाद से अभी तक अनभिज्ञ थे अब प्रयास प्रारंभ
हुये हैं तो आने वाले समय में निश्चित रूप से यह उत्तरवाहिनी नर्मदा परिक्रमा
मण्डला नगर का एक बड़ा आयोजन साबित होने वाली है जिसके संकेत अभी से ही प्राप्त
होने लगे हैं।
सोशल मीडिया के
माध्यम से जिस तरह अन्य प्रदेशों के लोगों ने इस यात्रा में शामिल होने अपनी सहमति
दर्शायी है उससे यह साबित होता है कि इस यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल
होने जा रहे हैं। आयोजन बड़ा है लिहाजा तैयारियाँ भी बड़े पैमाने पर होनी आवश्यक
है जिसको लेकर कल नगरपालिका प्रशासन विस्तृत चर्चा की गई और एक-एक बिन्दु पर लेगों
की जबावदारियाँ तय की गई हैं। जनपद अध्यक्ष के द्वारा परिक्रमा पथ पर पड़ने वाली
पंचायतों में जाकर बैठकें की गई और उन्हें भी इस कार्यक्रम में सहभागी बनाया गया।
पूरे परिक्रमा मार्ग में स्वच्छता पर विशेष ध्यान रखते हुये प्लास्टिक के उत्पादों
को वर्जित रखा गया है। परिक्रमा पैदल की जानी है लेकिन जो श्रद्धालु पैदल नहीं चल
सकते वे वाहन के माध्यम से भी परिक्रमा में शामिल हो सकते हैं रात्रि विश्राम भी
श्रद्धालुओं के लिये अनिवार्य नहीं है जो शनिवार की शाम वापिस अपने घर या जहां
रूके हैं वहां आना चाहे तो आ सकते हैं और फिर रविवार 19 मार्च की सुबह पुन: परिक्रमा में शामिल हो
सकते हैं।
परिक्रमा
पूर्णत: नि:शुल्क है श्रद्धालुजन अपनी आवश्यकता का समान लेकर चल सकते हैं जिनमें
छतरी,
दवाईयाँ, उपयोग के कपड़े आदि शामिल हैं परिक्रमा में
शामिल होने वाले परिक्रमावासियों के लिये बाल भोग एवं भोजन की सुविधा भी नि:शुल्क
है यह आयोजन हम सबका है लिहाजा इसमें हम सभी को सहयोग करते हुये इसे सफल बनाना है।
नर्मदा परिक्रमा
बता दे कि संसारिक बंधनों में बंधे लोग नर्मदा
परिक्रमा के लिये समय निकाल पायें ऐसा हर किसी के लिये संभव नहीं हो पाता है। शायद इसी को लेकर शास्त्रों
में एक प्रावधान यह भी किया गया है कि जो कोई भी माँ नर्मदा की परिक्रमा किसी
कारणवश चाहते हुये भी न कर पा रहा हो तो वह व्यक्ति उत्तरवाहिनी माँ नर्मदा
परिक्रमा कर इस पुण्य लाभ को प्राप्त कर सकता है। यह मंडला जिले का सौभाग्य है कि
माँ नर्मदा जिले को तीन ओर से घेरते हुए मंडला से कल-कल करती आगे बढ़ रही है। इसी
के साथ जिले में उत्तरवाहिनी नर्मदा परिक्रमा तट भी स्थित है। जिससे नर्मदा नगरी
का महत्व और बढ़ जाता है।
वर्ष में एक बार होती है उत्तरवाहिनी परिक्रमा :
अमरकंटक से माँ नर्मदा का उद्गम होता है और
खंबात की खाड़ी तक माँ नर्मदा प्रवाहित होती है, इस पूरे मार्ग में तीन स्थान ऐसे हैं जहां माँ
रेवा उत्तर दिशा में प्रवाहित हुई हैं। जहां-जहां माँ नर्मदा उत्तर दिशा में
प्रवाहित हुई उतने क्षेत्र की परिक्रमा करने का प्रावधान शास्त्रों में बताया गया
है और यह परिक्रमा वर्ष में सिर्फ 01 माह में ही की जाती है वह है
चैत्र का माह में।
तीन स्थानों में उत्तरवाहिनी नर्मदा परिक्रमा :
जानकारी अनुसार विगत दिनों नर्मदा परिक्रमा पर
निकले पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोिवंद के गुरू श्रृद्धेय विवेक जी का मंडला आगमन
हुआ था, उन्होंने सत्संग के दौरान
उत्तरवाहिनी परिक्रमा पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि क्यों माँ नर्मदा
ने कभी उत्तर दिशा और कभी दक्षिण दिशा की ओर प्रवाह किया। इसके आध्यात्मिक और
वैज्ञानिक कारणों को भी उन्होंने विस्तार से बताया। पूरे नर्मदा क्षेत्र में 03 स्थान ऐसे हैं जहां माँ
नर्मदा उत्तरवाहिनी हुई हैं, इनमें से एक गुजरात प्रदेश में तिलकवाड़ा, दूसरा क्षेत्र मंडला और
तीसरा ओमकारेश्वर के पास का स्थान है जो कि अब बांध बन जाने से डूब क्षेत्र में
आकर विलोपित हो गया है। गुजरात के तिलकवाड़ा में उत्तरवाहिनी परिक्रमा वर्षो से की
जा रही है। यह आयोजन उस क्षेत्र का बहुत बड़ा आयोजन होता है। जिसके लिये शासन
द्वारा बसों का प्रबंध लोगों के आने-जाने के लिये विशेष रूप से किया जाता है। पूरे
परिक्रमा मार्ग पर अब बड़े-बड़े दर्शनीय मंदिरों का और आश्रमों का निर्माण हो चुका
है। परिक्रमा करने वाला व्यक्ति इन मंदिरों और धार्मिक स्थलों का दर्शन करते हुये
परिक्रमा करता है, यह परिक्रमा पूरे चैत्र माह
में जारी रहती है।
एक तट 21 किमी की परिक्रमा :
मंडला में महाराजपुर संगम से घाघा-घाघी तक लगभग 21 किमी माँ नर्मदा उत्तरवाहिनी
प्रवाहित हुई हैं। इसके बाद यहां वापस लौटने में भी 21 किमी की परिक्रमा करके यह 42 किमी में पूर्ण की जाती है। इस पूरे मार्ग की परिक्रमा
ही उत्तरवाहिनी परिक्रमा है। मंडला में पिछले वर्ष उत्तरवाहिनी परिक्रमा आयोजित की
गई थी लेकिन यह पूरे प्रवाहित मार्ग तक नहीं थी क्योंकि यह पहला आयोजन था। इसके
साथ ही इसकी जानकारी भी नहीं थी, इस लिहाजा से एक दिवसीय परिक्रमा के दौरान
सहस्त्रधारा तक ही उत्तरवाहनी परिक्रमा की गई थी। लेकिन इस वर्ष पूरे घाघा-घाघी
घाट तक जहां तक कि माँ नर्मदा उत्तर दिशा में प्रवाहित हुई हैं, उस क्षेत्र तक नर्मदा
परिक्रमा की जाएगी। इसके लिये 18 मार्च को महाराजपुर संगम से
सुबह परिक्रमा प्रारंभ होगी जो शाम को घाघा-घाघी घाट पहुंचेगी। जहां रात्रि
विश्राम होगा। रात्रि विश्राम के दौरान प्रयास यह किया जा रहा है कि पूरी रात
धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन हो सके। सुबह नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्नान के
बाद घाघी घाट से पार होकर ग्वारी तट पर परिक्रमा पहुंचेगी और वहां से फूलसागर, तिंदनी होते हुये कटरा
आयेगी। इसके बाद नगर से होते हुये किले घाट स्थित व्यास नारायण मंदिर में परिक्रमा
का समापन किया जाएगा।
अधिक जनकारी के लिए सम्पर्क करे-
महिष्मति माँ नर्मदा उत्तरवाहिनी परिक्रमा आयोजन समिति
7999798942, 9821154745, 9425087615, 8319435534,
6261418827
(स्वेच्छा से सहयोगार्थ)
BANK – UCO BANK, MANDLA BRANCH
A/C.NO – 30830110074749
IFSC – UCBA0003083
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