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Sunday, March 26, 2023

जिले के कुछ वैद्य आज भी जीवित रखे है जड़ी बूटी चिकित्सा

जड़ी बूटी चिकित्सा पद्धति में वैधराजो को इलाज के लिए वन भूमि अधिकार की आवश्यकता 

मंडला - बीएसवीपी भागीरथ सेवा विकास परिवार एवं मध्य प्रदेश के महामहिम राज्यपाल मंगू भाई पटैल के मार्गदर्शन पर सिकल सेल अभियान चलाया जा रहा है। इसी के अंतर्गत स्थानीय परंपरागत देशी उपचार करने वाले चिकित्सकों की संगोष्ठी विकासखंड मवई के ग्राम मसना में आयोजित की गई।  इस दौरान स्थानीय वेधों का साल एवं श्रीफल से सम्मानित किया गया।  

जानकारी अनुसार असाध्य रोगों का इलाज भारत में आज का इलाज नहीं है, यह जड़ी बूटियों का इलाज बहुत ही प्राचीन काल का है और आज इस चिकित्सा पद्धति को आगे बढ़ाने के लिए आज वर्तमान समय में कुछ बचे हुए वेदों द्वारा आज भी जीवित रखा गया है। वैद्य नंदराम बैगा ने बताया कि जड़ी बूटियों के द्वारा असाध्य रोगों का इलाज किया जाता है, लेकिन इन इलाज के लिए जंगलों पर हमारा चिकित्सा पद्धति आश्रित है। जहां हमें कुछ जड़ी बूटियां जो मैदानी क्षेत्रों में मिल जाती थी, आज वह क्षेत्र कृषि भूमि बन चुकी हैं। अब कृषि के लिए मैदानों का उपयोग हो रहा है, जिसके कारण कुछ जड़ी बूटियां समाप्त होने लगी है। जंगलों को अधिक काटने जलाने एवं उपयोग अधिक होने के कारण जड़ी बूटियों के बीज व पौधे बड़े पैमाने पर समाप्त होने लगे है। अब इन्हें निश्चित क्षेत्र की आवश्यकता है जिसमें संरक्षण तथा संवर्धन और वेदों को वन भूमि वन अधिकार की आवश्यकता है। 

इसी कड़ी में सिकलसेल के लक्षण स्थानीय ग्राम वासियों को बताए गए एवं सिकलसेल से हमारा समाज कैसे मुक्त हो सकता है इस विषय पर भी चर्चा की गई।  कार्यक्रम में वेधों का साल एवं श्रीफल से सम्मान किया गया। इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष अजय वंशकार, सचिव शीतल कुमार कछवाहा, संयोजिका संध्या कांड्रा, वरिष्ठ मार्गदर्शक डॉ रविंद्र प्रताप सिंह, साहिल लहोरिया, सरस्वती धुर्वे, शुद्ध सिंह चंदरिया, चम्मू सिंह, रंगलाल, गुलाब सिंह, पंचम सिंह, जनमत सिंह, हीरा सिंह, लग्न सिंह, मुन्नालाल, भगत सिंह, महावीर, तुलाराम भाट, पंखा सिंह, गुलवत सिंह यादव, छत्रसिंह, कंबल सिंह, रतन सिंह समेत अन्य वेध उपस्थित रहे।



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