मंडला - चैत्र नवरात्र चल रहा है, माता की भक्ति में भक्त लीन है। माँ को प्रसन्न करने और आर्शीवाद
लेने भक्त तरह-तरह से मां की सेवा में लगे हुए है। माता के भक्त नौ दिवसीय नवरात्र
में माता की उपासना कर रहे है। जिले के प्राचीन मंदिरों, सिद्ध पीठो में भक्तों का
तांता लगा हुआ है। प्रसिद्ध मंदिर में एक मंदिर ऐसा भी जहां भक्तों के पवित्र हद्य
की पहचान एक पत्थर का हाथी करता है। यह सिद्ध स्थल जिला मुख्यालय से करीब 50 किमी दूर विकासखंड घुघरी
में स्थित है। जहां घुघरी ब्लाक मुख्यालय से करीब 18 किमी दूर ग्राम सलवाह के नजदीक स्थित ग्राम चुरिया
है। जहां माता का एक सदी से पुराना स्थान हैं। इसी स्थान में पत्थर का हाथी भी है।
यह स्थान की प्रसिद्धि चारो ओर प्रसिद्ध है। यहां आने वाले श्रृद्धालु खाली हाथ
नहीं जाता है।
ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम चुरिया में स्थित माता के स्थान में
माता अपने भक्तों की मुरादें पूरी करती हैं। यहां के पुजारी महेन्द्र का परिवार
पिछले पांच पीढिय़ों से माता की सेवा कर रहे है। माता यहां अपने भक्तों की
मनोकामना पूर्ती के लिए प्रसिद्ध है। यही कारण है कि इतने दूरस्त अंचल में भी वर्ष
भर माता के भक्तों की भीड़ लगी रहती है। माता की $कृपा ऐसी है कि कोई भी भक्त अपनी जो मन्नत माता के
इस दरबार में लेकर आता है माता उसकी समस्त आकांक्षाओं को पूरी कर उसकी समस्या का
समाधान करती है।
माता की प्रसिद्धि दूर-दूर तक है फैली :
माता के दरबार में
चैत्र एवं शारदेय नवरात्र दोनो में जबारे बोए जाते हैं एवं घट
स्थापना कर विशेष अनुष्ठान पूजन किया जाता है। यहां पर अष्टमी एवं नवमी के दिन
मंदिर में श्रृद्धालुओं की विशेष भीड़ रहती है। मंदिर के पुजारी महेन्द्र ने बताया
कि उनका परिवार पिछली 5 पीढ़ीयों
से माता की सेवा कर रहा है। माता के कई चमत्कार क्षेत्र में उनके भक्तों के बीच
प्रसिद्ध हैं, कोर्ट
केस एवं शत्रुओं के संकट में फंसे, निसंतान दम्पत्तियों के बीच तो माता की प्रसिद्धी दूर-दूर तक फैली
हुई है। श्रृद्धालुओं का वर्ष भर यहां आना जाना लगा रहता है।
पवित्र हृदय की पहचान कराता है हाथी की प्रतिमा :
मंदिर परिसर में एक पत्थर का हाथी है। जिसमें एक छेद है जिसको लेकर मन्यता है कि जो पवित्र ह्रदय का व्यक्ति होता है वहीं इसके आर पार हो पाता है।
यदि किसी के मन में कोई खोट है और इसे पार करने की कोशिश करता है तो वह बीच में ही
फंस जाता है। फिर माता से क्षमा याचना मांगने पर ही निकल पाता है। मंदिर एवं परिसर
में कई प्राचीन देवी देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं।
अन्य राज्यों से भी आते है भक्त:
बताया गया कि ग्राम चुरिया में स्थित माता के दरबार में पूजन, दर्शन और अपनी इच्छाओं की
पूर्ति के लिए आस पास के जिले बालाघाट, डिंडौरी, जबलपुर, सिवनी के साथ अन्य राज्यों
के अनेकों भक्त अपनी मनोकामना लेकर यहां माता के दरबार में पहुंचते है। भक्त अपनी
श्रृद्धानुसार चढ़ावा, फल, श्रृंगार भेंटकर माता से
अपनी मन्नत मांगते है। माता के भक्तों में क्षेत्र की कई बड़ी राजनैतिक हस्तियां
भी शामिल हैं जो माता का आर्शीवाद लेने को अक्सर यहां आया करती हैं। मंदिर एवं
प्रतिमा का केवल धार्मिक महात्व न होकर एक ऐतिहासिक महत्व भी है, लेकिन मंदिर के विकास एवं
संरक्षण सही ढंग से नहीं हो पा रहा है।
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