मंडला। जिले में अवैध शब्द आम हो गया है, चाहे वह शराब का अवैध कारोबार हो या खनिज सम्पदा
का अवैध खनन, परिवहन या जिले में संचालित अवैध गतिविधियां।
इन अवैध कारोबारियों पर जिला के उच्चाधिकारी लगाम नहीं लगा पा रहे है। जिससे इनके
हौंसले बुलंद है। इन अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाना बेहद जरूरी है। बता दे कि जिले से होकर गुजरने वाली नर्मदा, बंजर
नदी, हालोन समेत अन्य सहायक नदियां मंडला जिले की जीवन रेखा
है। इन नदियों में रोजाना रेत का अवैध खनन का खेल लगातार जारी है। नदियों में अवैध
रूप से चल रहे रेत उत्खनन कार्य से जहां शासन को लाखों रुपए की रॉयल्टी का नुकसान
हो रहा है, वहीं दूसरी और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा
है। इसके साथ ही नदियों के अस्तित्व पर संकट भी गहराता जा रहा है। कई जगह नदियों में रेत के अवैध उत्खनन इतना अधिक हो रहा है कि इसका असर
वहां के लोगों के जनजीवन पर दिखने लगा है। रैनी सीजन में रेत के उत्खनन पर रोक लग
जाती है लेकिन मंडला जिले में रैनी सीजन में भी रेत का खेल बेखौफ चलता है। रेत का
अवैध उत्खनन कराने वालों के हौसले इतने बुलंद है कि उन्हें किसी का डर नही है।
जानकारी अनुसार आदिवासी बाहुल्य मंडला में इन दिनों खनिज माफिया
शराब माफिया और रेत माफिया का तांडव चरम सीमा में दिखाई पड़ रहा है। जिले के
मुखिया को छोड़कर सभी अधिकारी कर्मचारी इन माफियाओं से अपना निजी स्वार्थ सिद्ध कर
इन्हें खुला संरक्षण दे रहे है। जिस तरह भारत देश सोने की चिडिय़ा कहा जाता था और उसे
अंग्रेज और मुगलों ने बर्बाद कर लूट लिया उसी तर्ज में मंडला जो कि आदिवासी
बाहुल्य जिला है और प्रकृति संपदा से पटा हुआ है, लेकिन जिले में अंगद के पैर की तरह जमे बाबू राज
के चलते करोड़ों अरबों रूपयों का डोलोमाईट गोंड खनिज की चोरी प्रतिवर्ष लगातार हो
रही हैं। जिले की नैनपुर और भुआ बिछिया तहसील में सोने की कीमत से बढ़कर भी एक ऐसी
खनिज संपदा डोलोमाईट जो मंडला जिले की शान है और इस जिले में निकलने वाली डोलोमाईट
की छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों में बहुत मांग है। जिसके चते इन दिनों डोलोमाईट
खादानों में अबैध उत्तखन्न जोरो से जारी है।
बंजर नजर आ रहे नदी, नाले कृषि भूमि :
बता दे कि जिले में करीब 30 वर्षो से संचालित डोलोमाईट खदानों का न तो
सीमांकन किया गया है और न ही जिले में बैठे जिम्मेदार खनिज विभाग के आला
अधिकारियों ने नियम विरुद्ध अबैध उत्तखन्न को लेकर आज तक कोई कार्यवाही की है,
जबकि उखन्नन स्थल को देखने पर स्पष्ट नजर आ रहा है की जिन खादानों
में उत्तखन्न हुआ है और हो रहा है उन खादानों की गहराई में में कार्य कर रहे लोग
चींटी के समान नजर आते है और ट्रेक्टर वाहन को आप देख कर पहचान नही पाएंगे और ये
खदानें वनांचल से लगे इस क्षेत्रों में लगातार हो रहे उत्तखन्न से हरे भरे जंगल व
कृषि भूमि के साथ नदी नाले भी बंजर नजर आ रहे है।
किसी का जीवन सुरक्षित नहीं :
संपूर्ण डोलोमाइट क्षेत्र में रहवास कर रहे ग्रामीण और आदिवासी
प्रदूषित वातावरण के चलते अब गाँव के गाँव खाली कर रहे है, वही दूसरी ओर इन
डोलोमाईट खदानों के उत्खनन के लिए बड़ी बड़ी ब्लास्टिंग की जा रही है
जिसके कारण रात्रि में लोगों की नींद टूट जाती है। ब्लास्टिंग इतनी
जोरदार होती है कि इसकी आवाज दूर दूर तक जाती है। इस क्षेत्र के आसपास रहने वालों
का जीना दूभर हो चुका है। होने वाली ब्लास्टिंग से आम जन भयभीत नजर आ रहे है। एक
ओर जहाँ पर्यावरण व वन्य प्राणियों के लिए केन्द्र और प्रदेश सरकार प्रति वर्ष
करोड़ों अरबों रुपये खर्च कर रही है, वही दूसरी ओर डोलोमाईट
खदानों से कुछ ही दूरी पर विश्व प्रसिद्ध कान्हा नेशनल पार्क की भी सीमा लगी हुई
है। जिससे इन जंगलों में रह रहे वन्य प्राणीयो का जीवन भी असुरक्षित बना रहता हैं,
लेकिन उद्योगपतियों को न पर्यावरण न वन्य प्राणियों और न ही मानव
जीवन की चिंता है, ये बस अपनी जेब गरम करने में
लगे हुए है।
शासकीय सेवा में रहते हुए चला रहे डोलोमाइट खदान :
पर्यावरण चिंतक और प्राकृतिक प्रेमियों ने मंडला जिले की बिछिया
तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम भवरताल में संचालित डोलोमाईट खादानों के मेंसर्स
कुसुम मिनरल्स,
सुमेधा मिनरल्स, कमेलश मोहन झिकराम और जय श्री
श्याम मिनरल्स की खदानों का अवलोकन किया तो देखा कि ये सभी लोगो द्वारा तय किये गए
नियम कानून से अधिक उखन्नन कर नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए शासन को लाखों करोड़ो
की राजस्व हानि पहुँचा रहे हैं। इन सभी डोलोमाईट खादानों की एक डोलोमाईट खदान में
आश्चर्यजनक बात सामने आई कि मेंसर्स कमलेश मोहन झिकराम खदान का संचालन कर्ता और वह
शख्स कोई नही बल्कि एक एमबीबीएस डॉक्टर है जो कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य
अधिकारी के अधीनस्थ विकासखण्ड मोहगांव में ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर के पद पदस्थ है और
शासकीय सेवा में वर्ष 1995 से आज दिनांक तक पदस्थ है।
जबकि शासन की सिविल सेवा आचरण अधिनियम में स्पष्ट उल्लेख है कि कोई
भी शासकीय अधिकारी कर्मचारी शासकीय सेवा में रहते हुए किसी भी व्यवसाय, निजी दुकानदारी नही कर सकता और न ही पुत्र पत्नी के व्यवसाय का संचालन नही
कर सकता है, लेकिन मध्यप्रदेश के मंडला जिले में एक ऐसा
अनोखा मामला देखने को मिला रहा है कि जिसमें शासकीय सेवा का लाभ लेते हुए भी इनके
द्वारा जिले के ग्राम भवरताल में ही गोंड खनिज डोलोमाइट खदान का संचालन करने व
भंडारण की अनुमति स्वयं के नाम से ही ले रखी है, खदान का
खुलेआम संचालन में न तो आज तक खनिज विभाग ने कुछ कार्यवाही की और न जिले के प्रमुख
जिम्मेदार कलेक्टर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी
ने।
नजर अंदाज कर रहा जिला प्रशासन और अधिकारी :
बता दे कि जिले के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी इस डोलोमाईट खदान के
संचालक और मोहगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ डॉक्टर साहब को विभाग
क्यों बचा रहा है,
जहाँ पर इनके द्वारा शासन के सभी नियम कानून को दरकिनार करते हुए
शासकीय नौकरी और व्यवसाय एक साथ एक ही जिले में खुलेआम कर रहे है। जबकि इस सन्दर्भ
की शिकायत की जानकारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मंडला, खनिज अधिकारी मंडला व तत्कालीन कलेक्टर के समक्ष एक समाज सेवक नारायण यादव
द्वारा लगभग 6 माह पूर्व जिम्मेदार अधिकारियों के समक्ष
उपस्थित होकर मय प्रमाणित दस्तावेज शिकायत करने के साथ
अवगत भी कराया गया था, लेकिन आज 6 माह
से अधिक समय हो जाने के बाद भी सम्बंधित शिकायत पत्र पर आज दिनांक तक मुख्य चिकित्सा
एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जिला खनिज अधिकारी और न ही जिला
प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही की गई। जिससे लग रहा है कि समूचा आदिवासी बाहुल्य
जिले में बैठा प्रशासनिक तंत्र इतने गंभीर विषय को आखिऱ कैसे नजर अंदाज कर रहा है।
खनिज माफियाओं के सामने सभी नतमस्तक :
बताया गया कि संचालित होने वाली इन खादानों में मजदूरी करने वाले
श्रमिकों को कम राशि देकर एवं उनको श्रम विभाग के नियमों के अनुसार मिलने वाली
सुविधाएं से वंचित किया जा रहा है। शासन के माप दंड के अनुसार खदान में फायर सेप्टी
श्रमिकों को स्वास्थ्य संबंधित व इन्हें मिलने वाली मूलभुत सुविधाएं से वंचित रखा
जा रहा हैं। आश्चर्य की बात यह कि इन सभी डोलोमाईट खदानों के संचालन के दौरान
नेशनल ग्रीन ट्रीमनल के नियमों के विपरीत उत्तखन्न किया जा रहा है पर मंडला
मुख्यालय में बैठा जिम्मेदार विभाग के कानों में जू तक नही रेंग रही है। जिससे ऐसा
प्रतीत होता है कि सम्पूर्ण खनिज विभाग का अमला इन डोलोमाईट गोंड खनिज माफियाओं के
सामने नतमस्तक है। ये सभी डोलोमाइट का अबैध उत्तखन्न करने इन्हें अभय दान दे दिया
हैं। वही जिले में नवपदस्थ कलेक्टर से क्षेत्रीय जानो ने यह अपेक्षा की है कि
मंडला जिले के भुआ बिछिया के अंतर्गत आने वाले ग्राम भवताल में संचालित डोलोमाईट
खदानों का किसी ईमानदार एजेन्सी से जाँच कराकर क्षेत्रीय जनों को हो रही परेशानी
से निजात दिलाने की उम्मीदें रखी है।
इनका कहना है
मंडला जिला आदिवासी जिला होने के साथ साथ इस जिले में कानून
व्यवस्था नियम कानून सब के सब भ्रष्टो के हाथों है और कार्यवाही का सुस्त रवैया है
इस जिले में कोई भी बड़ा आदमी नियम कानून का पालन नही कर रहा है और न ही शिकायतों
में कोई जांच होती है नेतागिरी और नेता सब के सब पैसा कमाने में लगे हुए है मैने 6 माह पहले ड्राक्टर
कमलेश मोहन झिकराम जो की मोहगांव में ड्राक्टर के रूप में पदस्थ है और ये ड्राक्टर
के साथ साथ भवरताल में स्वयं के नाम पर डोलोमाईट खदान भी चलाने का कार्य कर रहे है
जिसकी शिकायत मैंने कलेक्टर मंडला, मुख्य चिकित्सा अधिकारी
मंडला और खनिज अधिकारी मंडला को जाकर दिया पर आज तक कोई जांच नही कि गई है जानकारी
लेने पर एक ही जाबाब मिलता है कि अभी जांच चल रही हैं पता नही कब तक चलेगी मैने तो
सभी जांच के आवश्यक दस्तावेज शिकायत के साथ संलग्न कर दिया हैं।
नारायण यादव, समाज सेवी मंडला
इनकी डोलोमाईट खदान तो नौकरी में आने से पहले ही स्वीकृत हो चुकी
है, उसमें खनिज विभाग
क्या कर सकता है, इनको विभाग से भंडारण की अनुमति प्राप्त
है। अभी जांच की जानकारी नही है दिखवाता हूँ।
राहुल सांडिल्य, सहायक खनिज अधिकारी मंडला
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