मंडला (News Witness)- जिला मुख्यालय से लगे पुरवा चैराहा में श्रीमद देवी पुराण का आयोजन किया जा रहा है। आयोजन में तीसरे दिन की कथा में पं. संतोष शास्त्री पदमी वाले ने कहा कि भूतकाल से लेकर वर्तमान तक दो वृत्तियां आज भी विद्यमान हैं। इनमें पहली दैवीय तथा दूसरी आसुरी प्रवृत्ति होती है। पहली देवता तथा दूसरी राक्षसी वृत्ति बताई गई है। दुर्गाेत्सव समिति पुरवा चैराहा द्वारा आयोजित कथा में महाराज जी ने अनेक दैत्यों का उदाहरण देते हुए महाबली महिषासुर की बात कही। महिषासुर युद्ध के समय अनेक रूप बदलता था। लेकिन अंत में बलवान असुर दैत्य का देवी ने चक्र से वध किया। चंड एवं मुंड की कथा का वर्णन किया गया। वहीं खर दूषण प्रसंग का भी उल्लेखित करते हुए नीति और अनीति की बात की। महाराज जी ने कथा में आगे बताते हुए कहा कि जब मनुष्यों के मन में ईर्ष्या का विकार हो जाए तो मानिए अच्छी चीज भी कड़वी लगने लगती है। साथ ही वही बुरी चीज भी अच्छी लगने लगती है। ठीक वैसे जैसे किसी को सांप के काटने पर नीम मीठी लगने लगती है। मनुष्य का जीवन भगवत कृपा से मिला है। इसका उपयोग हमें संसार सागर से मुक्ति के लिए करना चाहिए। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए भगवत नाम का स्मरण जरूर करना चाहिए। जब जन्म जन्मांतर, कल्प कल्पांतर का पुण्य उदय होता है तो भगवान की कथा श्रवण करने का अवसर मिलता है। बीच बीच में मां भगवती की महिला के भजनों की प्रस्तुतियों से भक्त भावविभोर होते रहे।
Tuesday, October 17, 2023
मन में इष्र्या का विकार हो जाए तो अच्छी चीज भी कड़वी लगने लगती - पं. संतोष शास्त्री
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