अवशिष्ट पदार्थ खाने से गौ माता की स्थिति बिगड़ी, शादी पार्टी और भंडारे का बचा हुआ भोजन जमीन में गड्डा करके डाले - newswitnessindia

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Saturday, October 28, 2023

अवशिष्ट पदार्थ खाने से गौ माता की स्थिति बिगड़ी, शादी पार्टी और भंडारे का बचा हुआ भोजन जमीन में गड्डा करके डाले

मंडला - जिले में ऐसी सैकड़ों निराश्रित गौ माता बेसहारा घूमती है, जिनका कोई ठिकाना नहीं होता है, इन्हें जो मिल गया वह खाकर अपना पेट भरती है। यदि इन मूक गौ माता को यदि कुछ हो जाता है तो, इन्हें देखने और इनके उपचार के लिए दौड़ भाग करने वाला भी कोई नहीं होता। जिसके चलते जिले में ऐसे कई मूक मवेशी बिना सहारे इनका जीवन समाप्त हो जाता है। लेकिन जिले में माहिष्मती गौ सेवा रक्तदान संगठन में बहुत से गौ पुत्र अपनी सेवा गौ माता के लिए समर्पित कर दिए है। जैसे ही इन गौ पुत्रों को इनकी बीमारी या इन्हें संकट में फसने की खबर मिलती है, तुरंत ही ये गौ पुत्र मौके पर पहुंच जाते है और गौ माता की रक्षा और उपचार में अपना पूर्ण योगदान देते है। 


बता दे कि एक गौ माता अवशिष्ट पदार्थ खाने से गंभीर रूप से बीमार हो गई। जिसके कारण वह आनंद कालोनी में तडफ़ रही थी। माहिष्मती गौ सेवा रक्तदान संगठन की महिला मोर्चा जिला अध्यक्ष संजूलता सिंगोर की तत्परता के कारण गाय की जान बच पाई। गाय के बीमार होने की जानकारी गौ पुत्र दिलीप चंद्रौल और अन्य गौ पुत्रों को लगी, वैसे ही सभी मौके पर पहुंचे। गाय की हालत देखते हुए तत्काल 1962 पशु एम्बुलेंस को सूचना दी। सूचना मिलते ही पशु एम्बुलेंस मौके पर पहुंची। एम्बुलेंस के पहुंचने के पहले ही पशु विभाग से डॉ. श्री तेकाम ने गाय का उपचार शुरू कर दिया था।


बताया गया कि गौ पुत्रों की तत्परता के चलते पशु चिकित्सक ने गाय का उपचार शुरू किया। करीब एक घंटे तक गाय का उपचार चलता रहा। जिसके बाद गाय की स्थिति में सुधार आया। वहीं एम्बुलेंस के पहुंचने  से गाय के उपचार में काफी मदद मिली। हालाकि गाय के उपचार में कुछ दवाईयां एम्बुलेंस में उपलब्ध नहीं थी, तो वहां मौजूद गौ पुत्रों ने दवाईयां उपलब्ध कराई। जिसके बाद गाय की हालत में सुधार आया। 


खुले में ना फेंके बचा हुआ खाना :


गौ पुत्र दिलीप चंद्रौल ने कहां कि यदि शादी, पार्टी और किसी भंडारे में अधिक मात्रा में खाना बच जाता है तो उस खाने को खुले में ना फेंके। इस बचे हुए खाने को जमीन में गड्डा खोद कर डाल दे। गौ पुत्र ने बताया कि बड़ी मात्रा में बनाया जाने वाले भोजन में मसाले की मात्रा अधिक होती है, जिसके कारण इस बचे हुए भोजन को यदि गाय, बैल या अन्य मूक मवेशी खा लेते है तो ऐसे में उनके शरीर में गैस बनने लगती है। जिसके कारण उन मवेशियों की जान भी जा सकती है। इस कारण ऐसे बचे हुए भोजन को फेंकने के बजाए जमीन में गड्डा खोदकर डाल दे।  


निराश्रित गायों को मिलेगी नि:शुल्क सेवा :


गौ पुत्र दिलीप चंद्रौल ने बताया कि भारत सरकार के आदेशानुसार पशु एंबुलेंस को बुलवाने पर 150 रूपए की शुल्क राशि निर्धारित की गई है। लेकिन गौ पुत्र दिलीप चंद्रोल ने जब पशु विभाग मंडला के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. श्री तिवारी से बात तो उन्होंने सभी निराश्रित गौ माता के लिए शुल्क राशि नहीं लेने का आदेश मौखिक रूप से तत्काल दिया। गो पुत्र दिलीप चंद्रोल ने पशु विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. श्री तिवारी  का धन्यवाद किया। बता दे कि डिप्टी डायरेक्टर डॉ. श्री तिवारी ने सभी निराश्रित गौ माता के लिए पशु एंबुलेंस में लगने वाली 150 रुपए की राशि नि:शुल्क कर दी है। यदि अब जिला मुख्यालय में कहीं पर निराश्रित गाय माता तकलीफ में है तो 1962 पशु एम्बुलेंस में फोन लगाने पर पशु एम्बुलेंस मौके पर पहुंचेगी और निर्धारित राशि 150 रूपए का शुल्क नहीं देना होगा। 


इन्होंने की अपील :


गो पुत्र दिलीप चंद्रोल समेत सभी गौ पुत्रों ने आमजनों से अपील की है कि यदि आपके घर में अगर ज्यादा मात्रा में भोजन बचता है तो उसे जमीन में गड्ढे कर कर डाल दे जिससे गौ माता समेत अन्य  मूक मवेशी इस खुले में फेंका गया भोजन ना खा सके। बाहर फेंका गया भोजन अपशिष्ट हो जाता है, जिसे खाने से इन मूक मवेशियों के स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव पड़ता है। 


इनका रहा विशेष सहयोग :


बता दे कि जिला मुख्यालय के आनंद कालोनी में एक गौ माता की तबीयत बिगडऩे की सूचना  माहिष्मती गौ सेवा रक्तदान संगठन की महिला मोर्चा जिला अध्यक्ष संजूलता सिंगोर को लगी, जिनकी तत्परता से गौ माता की जान बचाई जा सकी। संजूलता ने इसकी जानकारी गौ पुत्र दिलीप चंद्रौल और पशु एम्बुलेंस को दी। तत्काल सभी मौके पर पहुंचे। जहां एक गाय अपशिष्ट पदार्थ खाने से उसकी हालत बिगड़ गई थी। गौ माता के उपचार के समय उपस्थित सभी लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। जिसमें  ज्योति पटेल, आलोक त्रिवेदी, हरीश सेन, सिंधु पटेल, देवेंद्र पटेल, हुलासी लाल सिंगौर, आशीष त्रिवेदी, आकाश त्रिवेदी, रविंद्र पटेल, मदन सिंह राजपूत, रेखा सिंगौर, मीना जैन का विशेष सहयोग रहा।




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